Yug Purush

Add To collaction

8TH SEMESTER ! भाग- 44 ( Turning Point )

"अबे बीसी ,बाइक आगे बढ़ा..."अरुण ने चिल्लाकर कहा...

"यार,वो ऐश कार मे बैठी है..."

"तो क्या..."मेरे खास दोस्त ने मुझे अजीब तरह से देखा, जैसे उसे यकीन ही ना हो रहा हो कि ये मैं कह रहा हूँ....

"तू जाएगा या नही..."अरुण चिल्लाया

"हम बहुत कम लोग है यार, पिट जाएँगे..."

"चल ठीक है..."बाइक से उतर कर अरुण बोला"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ, आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा... या तो तेरा या मेरा....फट्टू "आगे बढ़ते हुए अरुण ने कहा.....

सिदार वहाँ लड़को के बीच घिरा हुआ धक्का मुक्की करते हुए सिटी वालों से  बहस कर रहा था, ओपेनली अभी तक सिटी वालों मे से किसी ने सिदार पर अभी तक हाथ नही छोड़ा था और इधर मेरा सबसे खास दोस्त जा रहा था, वही मेरे ख्वाबो मे आने वाली एक परी ,अपने शहज़ादे के साथ कार मे बैठी थी और मैं वहाँ चौक से कुछ दूरी पर उलझन मे फँसा हुआ नवीन की बाइक पर बैठा हुआ था....

जब हमारे सामने दो रास्ते हो तो हमे किसी एक को चुनने मे ग़लती हो जाती है यहाँ  तो मेरे पास तीन रास्ते थे....पहला ये था कि मैं बाइक से उतर का सिदार का साथ देने घुस जाऊ और मार खाऊ...लेकिन ये फ्यूचर इंजीनियर  होने के नाते मुझे शोभा नही देता.....दूसरा रास्ता ये था कि चौक की तरफ बढ़ रहे मैं अपने खास दोस्त का किडनॅप कर लूँ और उसे अपने साथ लेजा कर उसे  पिटने से बचा लूँ, लेकिन यदि मैं ऐसा करता तो मैं शायद अरुण को खो देता...जो मैं नही चाहता था....

तीसरा रास्ता ये था कि मैं चुप चाप अपनी बाइक मोड़ लूँ और वापस जाकर नेक्स्ट क्लास अटेंड कर लूँ...लेकिन ये ऐसा करते ही मै खुद को खो देता... ये एक इंजीनियरिंग  कॉलेज के हॉस्टल मे रहने वाले  लड़के की पहचान नही थी और ना ही मेरी.....लेकिन मैने वैसा ही किया मैने तीसरा ही रास्ता चुना,क्यूंकी यही मुझे सही लगा...मैं उस वक़्त सबकुछ भूलकर, सामने चौक पर फँसे सिदार को अनदेखा करके बाइक कॉलेज के तरफ घुमाई.....

"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ कि आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा,या तो तेरा या मेरा...."मेरे कानो मे ये आवाज़ गूँज़ रही थी.

ये आवाज़ सिर्फ़ गूँज़ ही नही रही थी ये आवाज़ मेरा कान भी फाड़ रही थी......दुनिया मे काई रास्ते होते है ,जो किसी ना किसी मंज़िल तक पहुंचाते  है ,वो तो हमपर डिपेंड करता है की हम किस रास्ते पर चलते है....किसी की आवाज़ का कानो मे गूंजना ये सब मैने सिर्फ़ फ़िल्मो मे देखा था लेकिन उस दिन मैने खुद महसूस किया और जब वो आवाज़ बंद नही हुई तो मजबूरन मुझे बाइक अरुण की तरफ घुमानी पड़ी....

"लिफ्ट चाहिए,  सर..."

"तू...तू तो चला गया था ना .."

"चल बैठ  , स्टंट दिखाता हूँ ..."

"तू करने क्या वाला है..."बाइक पर कूद कर बैठते हुए उसने पूछा...

"वो सब छोड़ और ये बता सिदार का वजन कितना होगा....?"

"हओ,  मैं यहाँ किलो बाट  लेकर बैठा  हूँ ना .."शुरू मे उसने ऐसा कहा,लेकिन जब मैं पीछे मुड़ा तो जैसे उसे  समझ आया  कि मैं क्या कहना चाहता हूँ.... क्या करना चाहता हूँ...

मैने बाइक स्टार्ट की और बाइक सीधे फुल स्पीड मे चौक की तरफ दौड़ा दी,...अब मैं समझ गया था कि मुझे क्या करना है...मुझे तीनो मंज़िले पानी थी, सिदार को बचाना भी था, अरुण को अपने साथ भी रखना था और ऐश , उसे भी नही खोना था ........ अब क्यूंकि एक  नॉर्मल इंसान एक वक़्त पर केवल एक ही रास्ते पर चल सकता है, लेकिन मै नार्मल नही हूँ... मै युग पुरुष हूँ... इसलिए उस वक़्त मैने उन तीनो मंज़िलो की तरफ जाने वाले उन तीनो रास्तों को मिलाकर एक कर दिया, यानी की एक चौथा रास्ता मैने खुद के लिए तैयार किया.. जो इन तीनो रास्तो का जंक्शन पॉइंट था...

चौक के पास पहुचते ही मैने एकदम ज़ोर से नॉन स्टॉप  हॉर्न मारा जिससे इंसानी प्रवत्ति के कारण लड़के अपने आप सामने से  दूर होने लगे. सिटी वालों मे से एक सीनियर ने सिदार का कॉलर पकड़ा और उसे एक तरफ ले जाने लगा... ताकि पीछे से आने वाले वाहनों को रास्ता मिल जाए.. लेकिन उन्हें क्या पता की पीछे कोई और नही.. बल्कि हम थे...  उन्होंने मुझे पहचाना पर थोड़ी देर से... लेकिन तब तक मै बाइक सिदार के पास ले जा चुका था.. अरुण ने पीछे से एक लात कसकर सिटी वाले उस सीनियर को मारी.. जो सिदार का कॉलर पकडे हुए था, जिससे वो दूर जा गिरा, जिसके बाद चलती हुई बाइक मे ही मैने और अरुण ने सिदार को एक झटके मे  उठाया और एक्सेलरेटर पर पूरी ताकत लगाकर तुरंत वहा से रफू  चक्कर हो  गये...... जब तक सिटी वाले सीनियर्स को कुछ समझ आता, हम उनकी पहुंच से दूर निकाल चुके थे......

"गॉगलस  होता तो और भी रोल जमता बे अरुण...😎"बाइक के शीशे मे खुद को निहारते हुए मैने कहा...

इस वक़्त हम तीनो ठीक उसी ग्राउंड पर थे जहाँ कुछ दिनो पहले हम हॉस्टल  वालो ने मार धाड़ की थी....

"अबे ,मुझे छोड़ेगो या ऐसे ही टांगे रहेगो ..."जब ग्राउंड पर पहुंच कर मै और अरुण सिदार को टाँगे -टाँगे इस वात पर लड़ने लगे की गॉगलस पहनकर हम दोनों मे से कौन ज्यादा अच्छा दिखेगा तो... सिदार खुन्नया...

"सॉरी सर..."सिदार से अपनी पकड़ ढीली करते हुए अरुण ने कहा....

सिदार उस वक़्त बहुत तमतमाया हुआ था और अरुण ने जैसे ही सिदार को छोड़ा,वो नीचे उतर कर तुरंत किसी को कॉल करने लगा...

"ग्राउंड पर लेकर आ सब लड़को को, आज फिर मारूँगा उस  वरुण को, उसी के कहने पर सिटी वालो ने मुझे घेरा था..."

"MTL भाई..."मैं एकदम हीरो स्टाइल मे बाइक से उतरा.... कसम से यार, गॉगलस पहने होता तो मजा ही आ जाता.. I mean, just imagine.... गॉगलस पहनें हुए मै बाइक से उतर रहा हूँ... Anyway, मै  सिदार से बोला

"इलेक्शन  हो जाने दो...फिर मिलकर Gang-Bang पार्ट 2  करेंगे...."

"तू रुक...देख अभी उस साले को धोता हूँ..."सिदार ने फिर एक नंबर पर कॉल किया ,

"अबे ,अरुण समझा ना..."

"घंटा समझाऊ मैं....इसको खुद सोचना चाहिए..."

अरुण चुप रहने वाला था ,इसलिए एमटीएल भाई को शांत करने की सारी ज़िम्मेदारी अब मेरी थी. सिदार हमसे थोड़ी दूर जाकर किसी से बात कर रहा था ,तभी मैने अरुण को दबी आवाज़ मे कहा कि ,वो मुझे उस समय कॉल करे जब मैं सिदार से बात करते रहूं....

"Done ..."

मैं सिदार के पास गया और धीरे से आवाज़ दी, धीरे से इसलिए क्यूंकी मुझे डर था की गुस्से मे कही सिदार मुझे ही ना पेल दे....

"सिदार भाई..."

"क्या है..."चिल्लाते हुए सिदार ने कहा..."सालो ने मुझे धक्का दिया, तू देख सबको मारूँगा, आज ही मारूँगा..."

और उसी टाइम अरुण ने मेरे नंबर पर कॉल किया और मैने सिदार के सामने कॉल रिसीव की....

"हां, क्या बोल रहा है...? सब भाग गये...?कहा भाग गए... क्यों भाग गए.. आज ही MTL भाऊ मारना चाहते थे उन सबको.. अच्छा घर भाग गए.. चल कोई बाट  नही... नवीन, थैंक्स  "इतना बोलकर मैने मोबाइल जेब मे रक्खा और इस उम्मीद मे कि सिदार ने मेरी बात सुन ली  होगी मैं उससे बोला"सिदार भाई वो लोग तो भाग गये, अभी मेरे दोस्त का कॉल आया था...."

"कहाँ भाग गये, साले हरामी की औलादे "

"मालूम नही..."

"चल मुझे हॉस्टल  तक छोड़ दे..."सिदार ने अपना लाल होता चेहरा शांत किया और मोबाइल जेब मे रक्खा....

"ठीक है, बाय .."सीनियर हॉस्टल  के पास सिदार को ड्रॉप करते हुए मैने कहा.... बाइक से उतर कर सिदार हॉस्टल  की तरफ जाने लगा लेकिन कुछ दूर जाकर वो पलटा और मुझे आवाज़ दी...

"ओये अरमान... सुन..."

"Yes सर..."

"थैंक्स... मुझे और मेरी इज्जत बचाने के लिए..."

उसके बाद मैने बाइक कॉलेज की तरफ घुमा दी, कॉलेज तब तक ख़तम हो चुका था और नवीन बाइक stand  पर खड़ा हमारा इंतेज़ार कर रहा था.....

"आज के बाद माँगना बाइक, घंटा दूँगा..."जैसा कि हमे उम्मीद थी, नवीन का reaction  वैसा ही था....

"रो मत बे, जा भर ले अपने पिच्छवाड़े मे अपनी बाइक...मैं बहुत जल्द फरारी लेकर आउन्गा..." बाइक से उतर कर अरुण बोला...

"ये बात और किसी से मत कहना वरना, बेज़्ज़ती हो जाएगी..."मुझे जबरदस्ती खींच कर  बाइक से उतारते हुए  नवीन ने कहा"बेटा पहले एक बाइक ले लो, फिर फरारी के सपने देखना...."

"ये बात...."मैने बनावटी गुस्से से नवीन के बाइक पर दोनो हाथ रक्खा और उसे घूरते हुए कहा"कल तू 10 बाइक ऐसी देखेगा...जो मेरी होगी..."

"और 20 बाइक ऐसी देखेगा ,जो मेरी होगी...अब निकल यहाँ से..."अरुण जोशियाते हुए बोला....

"कल मिलना बेटा फिर, देखता हूँ"नवीन ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहाँ से फुर्र हो गया....

"अरमान ,अच्छा ये बता...हम दोनो 30 बाइक लाएँगे कहाँ से..."हॉस्टल  की तरफ जाते हुए अरुण ने पुछा...

"5-5 रुपये वाली लाके खड़ी कर देंगे... हमने कहा है की ऐसी बाइक खड़ी कर देंगे... मतलब इसी डिज़ाइन का... वो तो खिलौने के रूप मे भी मिल जाएगी "

"एकदम फाड़ आईडिया.... "

"That's Shri Arman for you, Bitches 🤴"


   19
7 Comments

Barsha🖤👑

26-Nov-2021 05:42 PM

बहुत बढ़ीया भाग

Reply

Miss Lipsa

02-Sep-2021 09:40 PM

Wow

Reply

Aliya khan

02-Sep-2021 05:41 PM

💐💐💐💐💐

Reply